Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
ईमानदारी और अनुशासन
ईमानदारी और अनुशासन सब देते है इस पर भाषण पर किसी का नहीं है इस पर शासन जब आता है गुस्सा जो मर्ज़ी है बोलते…
स्वतंत्र भारत
जब स्वतंत्र भारत राज तो और स्वतंत्र हैं विचार तो, फिर घिरे हुए है क्यों सुनो तुम आतंक में भारतवासियों, वीर तुम बढ़े चलो अब…
काश !देश का शासन कलम चलती
काश ! देश का शासन कलम चलती, निर्दोष को न्याय दिलाती, और दोषी पर कहर बरसाती, काश !देश का शासन कलम चलाती | अन्याय का…
nice manoj ji
Thanks Ankita ji
Ok