मेरा चाँद

वो खिड़की भले ही बंद
रहती है पर,
महसूस तुम्हें ही करता हूँ..
तुम्हारे सो जाने के बाद भी,
तुम्हारी याद में देर तक जगता हूँ..
सोचता यही हूँ देखकर चाँद की ओर,
मेरा चाँद कितनी आराम से सो रहा है..
और मैं उसे देखकर पूरी रात जगता हूँ…

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Responses

  1. यह कविता आपकी उच्चकोटि की है..
    शिल्प भी बहुत मजबूत है…
    ‘सोंचता’

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