साहित्य लिखो
साहित्य लिखो क्यों तुम आपस में लड़ते रहते हो कभी तुम जीतो कभी वो हारे क्यों जीत-हार में रोते हो पैसे कमाने के साधन तो…
साहित्य लिखो क्यों तुम आपस में लड़ते रहते हो कभी तुम जीतो कभी वो हारे क्यों जीत-हार में रोते हो पैसे कमाने के साधन तो…
बड़ी बात करते हैं लोग पर बड़ा ह्रदय ना रखते हैं कुछ अभिलाषा मन में जागे तो फिर कुबड़ाई करते हैं लेखनी को दूषित करते…
आलोचना का जिम्मा फिर से उठा लिया तूने चल अच्छा है ये काम संभाल लिया तूने साहित्य के मंच पर दूरियां अच्छी नहीं लगती जैसे-तैसे…
#shayri 2liner जब तेरी याद आती है चला आता हूँ, ************************************ फिर कोई नज्म गुनगुनाता हूँ….
इन्तकाल के बाद- पूंछूंगा खुदा से मुझे इतनी मोहब्बत क्यों दी ?? उसे इतना बेरहम क्यों बनाया ??
काश के इतना आसान होता ! दिल के जख्मों का भर जाना, तुझे देखकर तुझको भूल पाना बिन देखे तुझे रह पाना…
होली का त्योहार है मत झगड़ो मेरे यार, प्रेम से हिलमिल के रहो लिखो साहित्य अपार..
कोशिश करूंगा तुम्हे भूलने की, पर जानता हूँ मैं नाकाम ही रहूंगा. ——————❤❤ By Vivek singhal
यह साल हमेशा रहेगा यादगार, ज्यादा ना सही पर कुछ तो दे गया, यह साल बहुत सारे सबक दे गया… ——————❤❤ By Vivek singhal
हाँ, सही कहा तुमने बुरा हूँ मैं कवि कहाँ आवारा पागल हूँ मैं सिर्फ सूरत ही मेरी अच्छी है दिल का बहुत काला हूँ मैं…
तुम्हारी कविता प्रोफाइल पर पढ़ता हूँ.. जब पढ़ता हूँ जी उठता हूँ, यूं तो सहमा सहमा सा रहता हूँ.. पर तुम्हारे लिए हमेशा लड़ पड़ता…
तुम रहती हो तो सावन पर बहार रहती है.. तुम्हारे दम से ही तो सावन की महफिल सजती है.. सूना हो जाता है सावन आ…
वो खिड़की भले ही बंद रहती है पर, महसूस तुम्हें ही करता हूँ.. तुम्हारे सो जाने के बाद भी, तुम्हारी याद में देर तक जगता…
बड़ा ना समझ है यार मेरा हमसे पूँछता है कौन है वो ? थोड़ा दिमाग नहीं लगा सकता!!
तेरी तारीफ में क्या कहूँ लफ्ज कम पड़ रहे हैं तू खूबसूरत है इतना अरमां मचल रहे हैं
जाना चाहता हूँ ये शहर छोंड़कर पर असफल हूँ क्योंकि यहाँ कि एक कवयित्री से प्यार करता हूँ हूँ पुलिसवाला मगर डरता हूँ इजहार करने…
लिखने का शौक जरा कम ही है मुझे पर तेरा लिखा हर पन्ना पढ़ा करता हूँ… हर बार गलतियों पर जुबां बोल पड़ती है बस…
सब कुछ देखा करता हूँ नादान नहीं हूँ मैं पुलिसवाला हूँ गुनाह पकड़ ही लेता हूँ मैं…
वो ना जाने कहाँ रहते हैं आज कल, हमें उनके दीदार का इन्तजार है… बड़ा मीठा बोलतें हैं वो, हमें उनकी हाँ का इन्तजार है..
मेरे इश्क के बीमार नजर आ रहे हैं.. बड़े सीधे सरकार नजर आ रहे हैं..
मेरे दिल ने एक सवाल किया.. आज लखनऊ का मौसम कैसा है? हूबहू मेरे महबूब जैसा है..
नारी है वह यह मत समझ वह तो हुनर की रात है… एक बीमारी से वह लड़ रही है बस यही दु:ख की बात है…
उम्र में एक छोटे जीव के पीछे बड़े दिग्गज पड़े हैं. और कहते हैं हम रिश्ते में उनके करीबी ही रहे हैं…
अगर दर्द समझता तू तो अपनी हरकतों पर शर्मिन्दा होता.. अलग-अलग पहचान से यूँ ताने ना मार रहा होता…
दिल दुखाने की बात ना कर तो अच्छा है एक दिन तुझे सब छोड़ जाएगे.. रह जाएगा बस तेरा ही निशान बाकी तो सब तेरी…
जीवन में सबके होते हैं ऐसे लोग… जो रिश्तों महज खिलौना ही समझते हैं.. जब तक मन करता है खेल लेते हैं.. जब जी चाहे…
कैसे रिश्ते और कहाँ के.. पल टूट ही जाते हैं.. अपना उल्लू ना सीधा हो तो खुद ही रिश्तों से मुकर जाते हैं..
जीता था, खुश था मैं तेरे बिन भी तूने आकर मुझे इतना बदल दिया.. अब तेरे बिन एक पल नहीं है कटता आखिर तूने इश्क…
Jeet unaki hui lab mere muskuraaye.. Ye mohabbat hai ya fir hone ko hai..
Aaj bekaraariyan khatm hone ko hain.. Hai jisaka intazar meri nazaron ko, Wah aaj mere dar par Aane ko hai..
Aasan nahi hota hai Kavita yoon hi likhana Dil ke jakhm fir se Hare karne padate hain.
Kavi man bahut hi komal hai. Hans kar jeena iska hal hai.
Chota sa dil hai toot hi jaata hai. Par koi nahi ye duniya hai. Yahan aisa ho jaata hai. Aawaz uthaane ki himmat hai Tujhame…
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.