मेरी ज़िन्दगी में…..
जब अपनी ख़ामोशियों में,
सुनती हूँ आपकी ख़ामोशियाँ
सुकून के कुछ पल,
महसूस करती हूँ यहाँ l
सोचती रहती हूँ मैं यदा-कदा,
मेरी ज़िन्दगी में आप न आते तो क्या होता….
बेचैन सी इस ज़िन्दगी में…
आप हो दर्द की दवा,
आप हो ग़म की दुआ
आपसे कुछ मन की कहकर,
चैन पाती हैं मेरी बेचैनियाँ l
जब भी अपनी ख़ामोशियों में,
सुनती हूँ आपकी ख़ामोशियाँ॥
_______✍गीता
बहुत ही आकर्षित कविता है।
समीक्षा के लिए धन्यवाद सर
हकीकत बयां करती सुंदर प्रस्तुति।
चरेवेति चरेवेति…..@#₹
बहुत बहुत धन्यवाद राजीव सर
सोचती रहती हूँ मैं यदा-कदा,
मेरी ज़िन्दगी में आप न आते तो क्या होता…
बहुत ही लाजवाब पंक्तियाँ, अति उत्तम सृजन गीता जी। ऐसे ही निरन्तर लिखते रहिये।
इस अमूल्य समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए और उत्साह वर्धन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी, अभिनन्दन सर
बहुत उत्तम
आभार चन्द्रा जी