Categories: शेर-ओ-शायरी
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कविता : मोहब्बत
नदी की बहती धारा है मोहब्बत सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत सागर की गहराई सी है मोहब्बत निर्जन वनों की तन्हाई सी है…
मेरे अल्फाज अब कहाँ रहें, ये तो तेरी मुहब्बत की जहागीर हुई ।
मेरे अल्फाज अब कहाँ रहें, ये तो तेरी मुहब्बत की जहागीर हुई । ये तो तेरे हुश्न-शबाब में खोया है, तेरी मुहब्बत में ये कुछ…
अल्फाज कहां से लाऊं?
दिल में छिपे जो जज्बात है उनके लिए अल्फाज लाऊं कहां से? खुरेडे जा रहे जो मेरे दिल को अंदर ही अंदर उन्हें बयान करने…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार सब सर नवाते हैं, तेरे दर पर मेरे राम कोई तुझसे क्या माँगे, तुम किसी को क्या देते हो…
वाह्ह
dhanyabaad
मोहब्बत कहां लफ़्जों में बयां होती है … Jee Hazoor… Subhan Allah
thank you
ji, lekin hoti hi kyun hai
🙂