Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
शहीदों को नमन
नमन आज़ादी के परवानों का। वंदन क्रांति वीर जवानों का।। भगत, सुखदेव क्रांति वीरों के, इंक़लाब का डंका बजता था। ‘तिलक’ के विचारों का तिलक,…
हिन्दी कविता- समय गिन रहा |
हिन्दी कविता- समय गिन रहा | लोक डाउन हुआ है हर कोई समय गिन रहा है | खत्म कब होगा बाहर का बनवास | हर…
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