Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मेरे गांव में होने लगा है शामिल थोड़ा शहर:द्वितीय भाग
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मेरे गाँव में होने लगा है शामिल थोड़ा शहर [प्रथम भाग】
इस सृष्टि में कोई भी वस्तु बिना कीमत के नहीं आती, विकास भी नहीं। अभी कुछ दिन पहले एक पारिवारिक उत्सव में शरीक होने के…
सफलता ,ऊँची उड़ान
कविता : सफलता ,ऊँची उड़ान जीवन है छणिक तुम्हारा भूल कभी कोई न जाना बनकर सूरज इस वसुधा का जर्रे जर्रे को चमकानां || सूरज…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
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बहुत खुब
Good