Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
होली है रंगों का खेल
होली है रंगों का खेल होली है रंगों का खेल आवो खेले मिल के खेल देखो खेल रही है होली ये आसमा ये धरथी हमारी…
सौन्दर्य एक परम अनुभूति है।।
सौंदर्य एक परम अनुभूति है, हमारे नेत्रों से आत्मसात होकर अन्तस तक जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य हर मन को भाता है। काव्यगत सौंदर्य काव्य के…
क्या कभी किसी को देखा है ?
क्या कभी किसी को देखा है ? दर्द से छटपटाते हुए। क्या कभी सुना है तुमने किसी को चुप-चाप चिल्लाते हुए। कठिन बड़ा है उस…
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