राम, राम, राम तु रटते जा

राम, राम, राम तु रटते जा
मन से मन की विकार तु हटाये जा
राम से ही जन्मों का पाप धुलता
राम से ही राम मिलता
राम, राम, राम तु रटते जा
मन से मन की विकार तु हटाये जा ।।1।।
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राम ही लगाते हैं, सभी का बेड़ा पार
तेरा भी साथ देंगे रघुनाथ
राम, राम तु नित-दिन सुमिरता जा
कौशल्यानंदन का नाम तु हृदय से गाते जा
राम, राम, राम तु रटते जा
मन से मन की विकार तु हटाये जा ।।2।।
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भला-बुरा का फर्क जानना हैं बड़ा कठिन
ये दुनिया क्या है?, राम ही जाने सब-कुछ
तु राम, राम, राम जानके सब-कुछ राम को अर्पण करता जा
एक दिन राम तुम्हें देंगे दरश,
ये बात मन ही मन में तु याद करता जा
राम, राम, राम तु रटते जा
मन से मन की विकार तु हटाये जा ।।3।।
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कवि विकास कुमार

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