Categories: शेर-ओ-शायरी
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मेरे इलाही मेरे रक़ीब को सलामत रखना। वो भी रोयेंगे मेरे मह़सर में।।1।। विकास कुमार कमति मेर रक़ीब मेरे माशुक को गुल दे दो।…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मन हमारे आजकल अपनेपन की परिभाषाये
मन हमारे आजकल अपनेपन की परिभाषाये बदल रहे हैं,, सारे प्यारे दोस्त हमारे,, अब भीड़ सामान ही लग रहे हैं,, पराई नगरी में भी अकसर…
दो कदम
मौसीकी चौराहे पर रखकर आँखें बंद कर दो कदम रोज़ चलते हैं। हाथ में बसता और सीने में दिल रखकर दो कदम रोज़ चलते हैं।…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
Waah
Thank you