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दो कदम

मौसीकी चौराहे पर रखकर आँखें बंद कर दो कदम रोज़ चलते हैं। हाथ में बसता और सीने में दिल रखकर दो कदम रोज़ चलते हैं।…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

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