Site icon Saavan

लौट आओ अपने खेतों पर

लौट आओ अपने खेतों पर अब हरित क्रान्ति लिख देंगे।
उजाड़ गौशाला को सजाकर अब श्वेत क्रान्ति लिख देंगे।

फिर से नाम किसानों का  लाल बहादुर शास्त्री लिख देंगे।
अपनी लहू सिंचित करके माटी को अन्नदात्री लिख देगे॥

कर्ज से तुम मत घबराना धान की बाली से वादी लिख देंगे।
गेहूँ मक्का गन्ना जौं  की फसलों को सोना चांदी लिख देंगे॥

बीती बात बिसार दो नई तकनीकों से अमिट कहानी लिख देंगे।
खेतों पर तपने वाली माँ, बहनों को झांसी की रानी लिख देंगे॥

सुखी हुई धरती पर हल चलाकर आज जवानी लिख देगें।
सुनाकर रहट की सरगम अब रुठे बादल में पानी लिख देंगे।

लाल काली  मिट्टी  से मजदूरों  को वीर शिवाजी लिख देंगे।
घाटे के सौदों को अपने बाहू बल से जीती बाजी लिख देंगे।।

जामुन अर्जुन के शाखों को, हम अपनी दादी नानी लिख देंगे।
बंजर हो चुके मेड़ों के  जर्रे-जर्रे को पुरखों निशानी लिख देंगे॥

हिम्मत हारना कायरता है मेहनत के बल पर गांधी लिख देंगे।
खेत के हर एक पत्थर पर हम अब दशरथ मांझी  लिख देंगे।

निरझर बहते हुये पसीनों से  हम ,नहरों को वैतरणी लिख देंगे।
भारत माता के वीर सपूत अब खलिहानों को जननी लिख देंगे।।

नेताओं के झुठे वादे बहुत हो चुके अब तो इनको बासी लिख देंगे।
कुछ तो सच बोलो अब, नहीं तो तुम्हें अतीत के वासी लिख देंगे।

कुछ योजना हमारे लिये बनाओ वर्ना तुम्हारी अय्यासी लिख देंगे।
काली करतूतें  बहुत हो चुकीं अब सारी जाल -साझी लिख देंगे॥

ओमप्रकाश चन्देल”अवसर”

पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़

7693919758

Exit mobile version