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वचन

यदि बाँधने जा रहे हो किसी को
वचनों की डोर से, तो इतना
स्मरण रखना

कहीं झोंक न दे वचन तुम्हारा
उसे उम्र भर की अनन्त
प्रतीक्षा में…

क्योकि,
प्रतीक्षा वह अग्नि है जो भस्म कर
देती है स्वप्नों और उम्मीदों के
साथ-साथ मनुष्य की
आत्मा को भी…!!

©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’

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