वचन
यदि बाँधने जा रहे हो किसी को
वचनों की डोर से, तो इतना
स्मरण रखना
कहीं झोंक न दे वचन तुम्हारा
उसे उम्र भर की अनन्त
प्रतीक्षा में…
क्योकि,
प्रतीक्षा वह अग्नि है जो भस्म कर
देती है स्वप्नों और उम्मीदों के
साथ-साथ मनुष्य की
आत्मा को भी…!!
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
प्रतीक्षा वह अग्नि है जो भस्म कर
देती है स्वप्नों और उम्मीदों के
साथ-साथ मनुष्य की
आत्मा को भी…!!
_________ बहुत सुंदर और उच्च स्तरीय विचार प्रस्तुत किए हैं अनु जी आपने अपनी रचना में,बहुत ही गहरा सत्य छिपा है। रचना हृदय को छू गई , लाजवाब अभिव्यक्ति
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद सखि 🌺🙏
सुस्वागतम् सखी💐
बहुत खूब कहां बिछारने का कारण हमसब के कटु वचन ही है
बहुत खूब
Jay ram jee ki