विद्या

कविता -विद्या
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प्रेम करो तुम विद्या से, जीवन कांटों में खिल जाएगा|
जो विद्या को ना चाहे
ओ पाछे पछताय|
चढ़त जवानी गदहा बने,
ढोय ढोय मर जाय|

बालू कंकड़ मोरम ढोए,
लादे सर पर पाथर|
ईट ईट तो दिन भर ढोए,
रात के सोए बाहर|

पिठ लदा छऊवन माटी,
तो सर सर सोटा खाय|
बाल काल जो बीहड़ भागे,
कल नारी शरण रह जाय|

चिपों चिपों कह भूख के मारे,
ना मिले सेव ,तू घास घास खाय|
तेरे बल पर मालिक राज करें,
राजन दूध दही घी खाय|

ताक सिनेमा ताश जो खेलें,
तुम ताक ताक मरी जाय|
करो नकल यह कौन बनाया,
तेरे ताकन से अरब पति हो जाय|

मान रहा हूं यह भूल तेरी थी,
अब भूल न करना संतान के संग|
बीड़ी खैनी मदिरा मान को छोड़ो,
पाई पाई जोड़ो शिक्षा के संग|

यदि आज सभालो अपना जीवन,
कल उगता सुरज बन जाएगा|
हार मिलेगी “ऋषि” हजारों,
एक दिन मंजिल मिल जायेगा| प्रेम………
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
नाम-ऋषि कुमार “प्रभाकर ”
पता, ग्राम -पोस्ट खजुरी खुर्द, खजुरी
थाना- तह. कोरांव
जिला-प्रयागराज, पिन कोड 212306

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