संगमरमर
श्याम ने बंसी नहीं बजाई
राधा हो गई जब से पराई
आज एक खत लिखा
चांद को,
तुमसे भी खूबसूरत है कोई!!
❣❣❣
शिखर तक पहुंचने के लिए
गिरकर संभलना भी जरूरी है
नए आयत गढ़ने के लिए
पिघलना भी जरूरी है
तेरी यादों का मौसम
जब भी आता है
मेरे बदन को
सराबोर कर जाता है
रूह में तू शामिल है इस तरह
तू होता है आस-पास तो
दिल में गिटार सा बज जाता है
तेरे संगमरमर से बदन पे जो बूदें फिसल रही हैं
लगता है जैसे आसमां से बर्फ पिघल रही है
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