# समाप्त धारा 370
खुशियों की डंका बजा दिया।
इनकी तो लंका ढहा दिया।।
हो सकते हैं अपने भी,
अब सेब के बागान।
डल झील में तैरता,
होगा अपना भी मकान।
दिलों से शंका हटा दिया।
खुशियों की डंका बजा दिया।
इनकी तो लंका ढहा दिया।।
काश्मीर में भी अब तिरंगा,
शान से लहराने लगा।
धरती का स्वर्ग यकिनन,
अब स्वर्ग कहलाने लगा।
गौरव का झोंका बहा दिया।
खुशियों की डंका बजा दिया।
इनकी तो लंका ढहा दिया।।
बहुत भोग लिए अब तक,
तुम दोहरी नागरिकता।
अनुभव करो अब केवल,
और केवल भारतीयता।
जेहन से आशंका हटा दिया।
खुशियों की डंका बजा दिया।
इनकी तो लंका ढहा दिया।।
देवेश साखरे ‘देव’
Bahut khub
धन्यवाद
बहुत अच्छे
धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर रचना ढेरों शुभकामनाएं
आभार आपका
वाह बहुत सुंदर
Thanks
Good
Thanks