Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
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चंदन तुम सर्प लपेटे रहते हो
चंदन ! तुम सर्प लपेटे रहते हो। तुम शीतल हो तुम निर्मल हो, खुशबू तेरे भीतर है। वैर नहीं है तुम्हें किसी से हृदय बड़ा…
nice 🙂
bht khoob……:)
वाह वाह