साँवला सलोना
साँवला सलोना चला, माखन चुराने को।
मैया ने देख लिया, रंगे हाथ गिरधारी को।
कान पकड़ के मैया, कहती हैं नंद से।
क्यों चुराए है तू?, माखन यूँ मटकी से।
इतने में बोलते हैं, कन्हैया यूँ मैया से..
मैंने न चुराया माखन, पूछ लो तुम ग्वालों से।
मैया कहती हैं मैंने, तुझको ही देखा है।
माखन की मटकी से, माखन चुराते हुए।
बोल कन्हैया मेरा, क्यों तू ये करता है?
क्या मैं न देती तुझे?, जी भर खाने के लिए।
छुप – छुप देखें हैं सखा, कुछ न फिर बोलते हैं।
कान्हा को मैया आज, डाँट खूब लगाती हैं।
नटखट कन्हैया फिर, अश्रु बहाते हैं।
मैया को मीठी बातों में, फिर से फँसाते हैं।
कहते हैं मैया से, अब.. न मैं चुराऊं माखन।
एक बार मेरी मैया, बात मेरी भी मान ले तू।
मीठी – मीठी बातों से, मैया को रिझाते हैं।
लेकिन कहाँ ये कान्हा, किसी की भी माने हैं।
नटखट अठखेलियों से, लीलाएं दिखाते हैं।
मनमोहक अदाओं से, सबको रिझाते हैं।।
Simply beautiful
Thanku ma’am
सुंदर
Thanku Ma’am
nice
Thank u ma’am
सुन्दर
सादर धन्यवाद सर जी