साया

तुम अपना न सही तो पराया ही कह दो,
के मुझे झूठे मुँह अपना साया ही कह दो,

इससे पहले के बन्द हो न जाएँ ये आँखे,
था मुझे तुमने दिल में बसाया ही कह दो,

न किसी ख्वाब न किसी रात में हम मिले,
पर ढाई अक्षर तुम्हींने सिखाया ही कह दो,

कहो कुछ भी जो तुमको कहना हो तो,
मगर मुझसे तुम सच छिपाया ही कह दो।।

राही अंजाना

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