सावन बीता जाये।
सावन बीता जाये
प्रियतम तुम न आये।
मस्त पवन संग डोले किसलय
ताल – तलैया, सागर में लय,
बादल नभ पर छाये
प्रियतम तुम न आये।
कलियों पर है छायी लाली
झूमे बेसुध कोमल डाली,
मधुकर तान सुनाये
प्रियतम तुम न आये।
चूमें धरती चंचल – किरणें
महकी हवा लगी मन हरने,
रुत आये रुत जाये
प्रिमतम तुम न आये।
सावन की ये काली रातें
गरजे घटा घोर बरसातें,
विरह बहुत तड़पाये
प्रियतम तुम न आये।
सूना आँगन , सूने झूले
जा परदेश पिया तुम भूले,
कजरा बह- बह जाये
प्रियतम तुम न आये।
अनिल मिश्र प्रहरी।
Nice
THANKS.
Sundar
THANKS
बहुत सुन्दर
THANKS
Nice
THANKS
वाः
THANKS
Nice
THANKS
2आह
THANKS.
वाह
thanks