सुनकर कांव कव्वे की

मुहल्ले में खड़े टावर में
सुनकर कांव कव्वे की,
सभी यह सोच कर खुश हैं
अब मेहमान आयेगा।
मगर वह पाहुना आयेगा
किसके घर किसी को भी
पता कुछ है नहीं
केवल भरोसा है कि आयेगा।
प्रियसी सोचती है आज उसका
प्रिय आएगा,
वृद्ध माँ सोचती है आज
उसका पुत्र आयेगा।
पत्नी सोचती है
दूर सीमा में डटा पति आज
डेढ़ महीने के लिए
छुट्टी में आयेगा।
बच्चे खुशी से सोचते हैं
जो भी आयेगा,
कुरकुरे, चॉकलेट और
चिप्स लायेगा।
मुहल्ले में खड़े टावर में
सुनकर कांव कव्वे की,
सभी यह सोच कर खुश हैं
कि कोई आज आयेगा।
– डॉ0 सतीश पाण्डेय, चम्पावत, उत्तराखंड।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. आज भी गांव में कौवे की आवाज सुनकर ऐसा अनुमान लगाते हैं की कोई मेहमान आने वाला है
    आपने डॉक्टर साहब बड़े ही अच्छे सुंदर शब्दों में रचना की

  2. अद्भुत जँहा ना पहुचे रवि
    वंहा पंहुचे कवि…
    किसी शायर ने ठीक ही कहा है
    बहुत सुन्दर चाचा जी 💐💐

  3. बहुत ही सुन्दर और भाव पूर्ण रचना है ।सुनकर कांव कव्वे की,
    सभी यह सोच कर खुश हैं अब मेहमान आयेगा। कवि सतीश जी ने कव्वे की बोली से मेहमान आने की बात कही है जिससे सभी खुश है।गांव में ऐसी ही प्रथा होगी , सुंदर भावों की प्रधानता लिए हुए बहुत ही सौम्य, सरस रचना

+

New Report

Close