स्वच्छ भारत अभियान
हर शख्स से हर अक्स से
विनती मेरी हर सांस से
हर जात से हर पात से
हर शहर ग्राम और प्रांत से।
धरती हमारी मां है यह
भारत हमारा है वतन।
सोचो मगर क्यों आज ये
उजड़े बिखरे लगते चमन।
शायद हमारी भूल हो!!
लापरवाही सबको कुबूल हो।
क्यों गंदगी चहुं ओर क्यों?
कचरा बनी यह जमीन क्यो?
क्योंघर आपके साफ हैं!
रास्ते, गली क्या कूड़ेदान हैं!!
नालियां भरी पॉलीथिन से
रास्ते में देखो जाम है।
दुर्गंध उठती धरा से यू
जैसे सड़ चुकी कोई लाश हो।
घर को बना सकते हो यू,
आवाम का जो यह हाल है।
दीवारें पीक से सजी
जैसे खून सें नदियां सनी।
हर जगह ढेर ही ढेर है
दुर्गंध चारों ओर है
घर झाड़ पहुंचकर जो तुम।
फेंक देते कचरा रास्ते पर
एक दिन उसे घर में फेको,
फैला दो चारों ओर फिर
रह पाओगे एक दिन भी ना
ऐसे बुरे माहौल में।
देश को समझो अपना
प्रतिज्ञा मन में ठान लो
स्वच्छ भारत अभियान में साथ दो।
निमिषा सिंघल
वाह
Thank you
Very nice
Thanks dear
Nice
Thanks Poonamji
बहुत सुन्दर रचना
Thank you
वाह जी वाह
Dhanyavad
Nice