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स्वतंत्र भारत

जब स्वतंत्र भारत राज तो और स्वतंत्र हैं विचार तो,
फिर घिरे हुए है क्यों सुनो तुम आतंक में भारतवासियों,
वीर तुम बढ़े चलो अब आतंकी सारे मार दो,
सरहद पर तुम डटे रहो,
गद्दार सारे मार दो,
जब स्वतंत्र भारत….
भरा हुआ है भ्रष्टो से समाज ये सुधार दो,
करो खत्म भ्रस्टाचारी और भ्रष्टाचार को उखाड़ दो,
छुपा हुआ काला धन उस धन को भारत राज दो,
जब स्वतंत्र भारत….
तुम सो रहे घरों में हो बेफिक्र मेरे साथियों,
वो जग रहे हैं रात दिन सरहद पे भारतवासियों,
तुम छुप रहे आँचल में माँ के पा रहे दुलार हो,
वो चुका रहे हैं क़र्ज़ माँ सरहद पे मेरे साथियों,
तुम खा रहे पकवान वो खा रहे हैं गोलियां,
उठा रहें हैं देखो कैसे आप ही वो डोलियाँ,
तुम जी रहे मजे में वो मर कर शहीद हो रहे,
नमन करो नमन करो शहीद ऐसे वीरों को,
लहरा रहे तिरंगा जो सरहद में मेरे साथियों॥
स्वतंत्र भारत राज…
राही (अंजाना)

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