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हार हुई आज नारी की

हार हुई आज नारी की,
चढ़ी भेंट दुराचारी की
सारे-आम कत्ल कर गया,
ना आई उसे कुछ दया
बेहया घूम वो रहा है,
समाज क्यूं सो रहा है
मानवता मर रही है,
दानवता फली फूलती,
मानवता क्यूं डर रही है
ये भारत पर अभिशाप है,
होता निश-दिन यहां पाप है
जिस मुल्क में, कातिलों के खिलाफ
फांसी की सज़ा ना हो,
तो ये कैसा इंसाफ़
फ़िर क्यूं होगा इन्हें खौफ
कातिल घूम रहे बेख़ौफ़
कभी चार्ज-शीट दाखिल हुई,
कभी बयान गवाहों के
कभी कैसी लगी अर्जी,
कभी नासूर लगे अफवाहों के
फ़िर भी मासूम के घरवाले,
कई-कई वर्षों तक ,
राह तकें नतीजों की
कभी निर्भया कभी ,
कोई और बहन बेटी
क्यूं भेंट चढ़ी दुराचारी की..

*****✍️गीता

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