हाल ए दिल

हाल ए दिल अपना कभी हमसे सुनाया न गया
साथ मुश्किल तो न था तुमसे निभाया न गया।

आए महफिल में वो मिलते रहे अपने बनकर
जख्म एैसा मिला जो हमसे भुलाया न गया।

नाम तेरे की हिना जब रची हथेली पर
लाख कोशिश की मगर रंग छुड़ाया न गया।

ऐक राही हूँ मुक्कमल है सफर की मंजिल भी
अहदे जिंदगी से कभी मौत का साया न गया।

ख्वाब आंखो में तेरा नाम लबों पर था मेरे
मैं वो नग्मा ही रहा जो कभी गाया न गया।

हाथ थामो तो आसान हो जीवन का सफर
यूँ अकेले तो कभी चाँद को पाया न गया।

– सतीश मैथिल ‘तनुज ‘
अहमदाबाद गुजरात

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