हर तरफ काँटों का जाल बिखरा है ,
उसे बचना हो तो कह दो साथ में रहे !
सज धज के आयी है आज महबूबा मेरी,
चाँद को कह दो अपनी औकात में रहे !!
Categories: शेर-ओ-शायरी
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