poem

एक फूल के लिए कितना मुश्किल होता है
कि
वह अपनी पंखुड़ियों को
तूफानों से बचा ले
छिटकने न दें
पराग कणों को बिखरने न दे

एक पेंड के लिए बड़ा कठिन होता है
अपने अस्तित्व को बनाए रखना
अपनी जड़ों में समाए रहना
और अपनी शाखाओं को बचाए रखना
धूप से ,बारिश से,सूखा से और बाढ़ से

एक ट्रेन भी
संतुलन बना लेती है
दो पटरियों के बीच
पटरियों से टकराती हुई
चोट पर चोट खाती हुई
फिर भी चलती जाती है
अपने सफ़र पर
बिना रुके हुए
बिना थके हुए
बिना चिंता, विषाद के
चलती जाती है अपने मार्ग पर

मनुष्य कितनी ही
आकृतियों को
बनाता है
बिगाड़ता है
दिलों में सजाता है
फिर भूल जाता है

आकृतियों को एक साथ सहेजना हो जाता है मुश्किल
अलग अलग पटरियों पे चलने की कोशिश में
अक्सर पटरी से उतर जाते
जो कहना होता है
वह न कह पाते हैं
बंट जाते हैं सुख ,दुःख
और ज़िंदगियाँ

हर किसी की अपनी चाहते हैं
मंज़िले हैं
और रवायतें हैं
कुछ भी उभयनिष्ठ नहीं
कुछ भी संश्लिष्ट नहीं
हैं तो अलग अलग सी
अनजानी राहे
और कुछ जाने से
पर अब अनजान हो चुके चौराहे
जहां पहुँच जाते हैं
यदा -कदा
और हो जाते हैं
विदा
कह कर
अलविदा ।

तेज

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close