Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
स्वतन्त्रता-दिवस
पन्द्रह अगस्त की बेला पर रवि का दरवाजा खुलता है, सब ऊपर से मुस्काते हैं पर अंदर से दिल जलता है जब सूखे नयन-समन्दर में…
कुछ दिल की सुनी जाये
चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ कर कुछ दिल की सुनी जाये कुछ मन की करी जाये एक लिस्ट बनाते हैं अधूरी कुछ आशाओं की उस…
*आशा का एक दीप जलाए*
बैठे हैं आशा का दीप जलाए, उम्मीद की लौ मन में लगाए। व्यथा का तिमिर अड रहा, नैराश्य का आंचल बढ़ रहा नेत्र नीर नैनों…
ख़्वाहिश
तू जो मेरी जिंदगी में आयी मेरी जिंदगी जन्नत हुई । ख़्वाहिशे गगन को छू पायीं पूरी मेरी अधूरी मन्नत हुई। देखी जो तेरा मुखरा,…
Uttam
Shukriya