आवाज़
के शायद मुझको ही मेरी बात कहनी नहीं आती,
के इस दिल से कोई आवाज़ ज़हनी नहीं आती,
गुजरता है ये दिन मेरा यूँहीं ख्वाबों ख्यालों में,
मगर सच है के मुझसे रात ही सहनी नहीं आती,
जो मेरे साथ रहते हैं वो चन्द अल्फ़ाज़ कहते हैं,
के शरारत कोई भी मुझमें कभी रहनी नहीं आती।।
राही अंजाना
बहुत खूब
आभार
बहुत खुब ( बेमिसाल)
धन्यवाद
Bahut badiyan
धन्यवाद
Good