Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
वही पुरानी तसल्ली
रोशनी दिन मे थी अंधेरी शाम लिखा था उसने, वाकिब मैं था जैसे खुद को अंजान लिखा था उसने, नज़रे पलट ली निगाहों से अपने…
वही पुरानी तसल्ली
ज़मीन मुझको समझ कर खुद आसमान लिखा था उसने, मैं था परिंदा वगैर परवाला खुद को उड़ान लिखा था उसने, मौत को देखा है मैं…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
वही पुरानी तसल्ली
मंजिल मेरी वो मुझको श्मशान लिखा था उसने, है गरीब खुद ऐसा खानदान लिखा था उसने। रहता मै पक्के घरों में अब(पहले खपरैल मे रहते…
बहुत बढ़िया