“खरोंचे “

ज़िन्दगी कितनी खरोंचे दोगी_?

अब तो रूह का रेशा-रेशा भी छील गया_

-PRAGYA-

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ज़िन्दगी……|

है ज़िन्दगी कहीं हर्ष,कहीं संघर्ष कभी दुःखों की अवनति,कभी खुशियों का उत्कर्ष ऐश्वर्य है ज़िन्दगी,कहीं है ज़िन्दगी परिश्रम ज़िन्दगी का अर्थ लगाना ही–है मन का…

“यकीं “

यूँ तो बीत गये कई पल बिन तेरे भी_ पर संग तेरे बीते वो अनमोल पल भुलाये नहीं भूलते_ ताजिंदगी तुझे चाहने की रज़ामंदी हैं…

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