Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
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**तुम होते तो शायद और बात होती** सहर तो अब भी होती है, सूरज अब भी निकलता है फलक़ पर, मगर मैं सोचता हूं कि…
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शमा और लौ ———- नवयोवना शमा और चमकती लौ एक साथ जीवन,लेकिन कहानी दो। लौ अपनी तेजी बढ़ाती गई, शमा को हर घड़ी दबाती गई।…
कैसे होते हैं……!
कैसे होते हैं……! ——————————— कोई पहचान वाले अनजान कैसे होते हैं जानबूझ कर कोई नादान कैसे होते हैं बदलता है मौसम वक़्त और’लम्हें सुना हेै–…
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बहुत खूब
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Bilkul sahi
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