Lauta do fir se wahi manjar
लौटा दो फिर
से वही मंजर,
बाबा मेरे थे वो
कितने प्यारे,
उंगली पकड़कर
चलना मुझे सिखाया
था कभी आपने,
कंधों पर भी मुझे
झूला झुलाया
था कभी आपने,
तूतली बोली थी मेरी
तब ठीक से
बोलना सिखाया
था कभी आपने,
ठीक से पढना भी
तो आपने ही
सीखाया था बाबा,
मीठी झिडकी
भी मुझे लगाई
थी कभी आपने,
फिर रूठने पर
मुझे मनाया भी तो
आपने ही था बाबा,
वह ठहाके वाली
हंसी आपकी
अभी तक कानों
में गूंजती है बाबा,
लौटा दो फिर
से वही मंजर,
लौटा दो फिर
से वही बचपन |
वाह बहुत सुंदर रचना
Thanks
अतिउत्तम रचना
Thanks
Wah
Thanks
Heart touching
Thank you sis
सही कहा
Nice
Thanks
Nice
Thanks
Superb