कटघरा

हम सबके हिस्से में अपने हक़ की ज़मीन क्यों नहीं,
अब जो कुछ है यही है इसबात पर यकीन क्यों नहीं,

रिश्ते उलझे हैं इस कदर के सुलझने को तैयार नहीं,
आपसी सम्बन्ध सारे आज धागे से महीन क्यों नहीं,

जिस्म पे पहनने वाले हर एक कपड़े का कारीगर है,
जो इज्जत के कागज़ को सिले वो मशीन क्यों नहीं,

कटघरा अपना है और मुजरिम भी और कोई नहीं,
इस गिरेबान में झांकते हाथों में आस्तीन क्यों नहीं,

मिलकर देखा कितनों से जो कुछ अनोखा रखते हैं,
बताओ तो ‘राही’ कलम में हुनर बेहतरीन क्यों नहीं,

राही अंजाना

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

+

New Report

Close