कौन कह रहा है
कौन कह रहा है समन्दर में राज़ नहीं होते,
ज़मी पर रहने वालों के सर ताज नहीं होते,
पहन लेते हैं आज वो जो जैसा मिल जाये,
ये सच है उनकी कमीज़ में काज़ नहीं होते,
गर छू पाते हम अपने हाथों हवायें दिवानी,
आसमां पे हौंसलों के उड़ते बाज़ नहीं होते,
कोई कुछ कहता नहीं सब समझते सबको,
एहसासों के यूँ सरेआम आगाज़ नहीं होते,
ज़ुबां सुना देती जो गर धड़कनों को दिल की,
कानों में ख़ामोशी से सजे ये साज़ नहीं होते,
राही अंजाना
Nice
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
Ni
Wah
वाह