ख़त
गुज़रा ज़माना याद दिलाता है ख़त।
अब बीता ज़माना कहलाता है ख़त।
रूठे को मनाना, हाले-दिल बताना,
अपनों को अपना बनाता है ख़त।
ना हुई कभी मुलाक़ात ना कोई बात,
दो अंजानो को करीब लाता है ख़त।
जो बात ज़बान ना कर पाये बयान,
तेरे – मेरे जज़्बात मिलाता है ख़त।
जवाब का इंतजार, करता बेकरार,
एक नया एहसास दिलाता है ख़त।
देवेश साखरे ‘देव’
Wahh
शुक्रिया
🤔😀
Thanks
उम्दा
शुक्रिया
उम्दा।
शुक्रिया
Good
Thanks
Good
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वाह बहुत सुंदर
धन्यवाद
😭😭
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