मुक्तक

मैं तेरी सूरत का दीवाना हूँ कबसे।
मैं तेरी चाहत का अफ़साना हूँ कबसे।
अंज़ामें-बेरुख़ी से बिख़री है ज़िन्दग़ी-
मैं तेरे ज़ुल्मों का नज़राना हूँ कबसे।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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मुक्तक

तेरी सूरत का मैं दीवाना हूँ कबसे! तेरी बेताबी का परवाना हूँ कबसे! अंजामे-बेरूखी से बिखरी है जिन्दगी, जख्मे-तन्हाई का अफसाना हूँ कबसे! मुक्तककार- #महादेव'(24)

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