वक्त

वक्त से मैं बेवक्त उलझता रहा।
वक्त से बड़ा कद समझता रहा।
वक्त ने इस कदर उलझाया मुझे,
वक्त ना वक्त पर सुलझता रहा।

देवेश साखरे ‘देव’

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