आरज़ू

आरज़ू नही रखता कि पूरी कायनात मे मशहूर हो शक्सियत मेरी।
जनाब! आप जितना जानते हो बस उतनी ही है पहचान है मेरी।।

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जिंम्मेदारियों का बोझ मैं उठा’के रखता हूँ मेले में बेटे को काँधे पे बिठा’के रखता हूँ ।। आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं…

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