नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थन में
नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थन में
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हम वतन थे जो त्रस्त थे बाहर,
उनको घर उनके बुलाया तो बुरा क्या किया!
बिना टिकट सवार थे भारी
टिकट जो पूछी गई ऐसा बुरा क्या किया!
सांप बिच्छू सभी रहते थे जहां
बिलों में पिघला शीशा डाला
तो बुरा क्या किया!
दीमकें लगी थी जड़ में
खोखला वतन ये किया
जड़ों में तेल लगाया तो बुरा क्या किया!
लोग सोए थे बहुत
नींद बड़ी भारी थी
नींद से उनको जगाया तो बुरा क्या किया!
खानाबदोश थे जो उनको भी गले से लगाया
ऐसे प्यारे वतन को झुलसाया
सिला खूब दिया।
आग लगा दी दिलों में
देश को बदनाम किया
चंद स्वार्थीयों ने
सही बात को गलत साबित कर दिया।
खाया जिस थाली में उसी में तुमने छेद किया
अतिथि देवो भव का तुमने सबक खूब दिया।
निमिषा सिंघल
Bilkul Shi kaha ji aapne
Right
सटीक और सुंदर
काबिल- ए-तारीफ़
yes right👏👏
Bahut khoob kahi
🌺🌺🙏🙏