वज्रस्त्री
पंख काट जाल डाल ..
धरती से ऊंचा ना उड़ने दिया,
पुरुष महासत्ता का शिकार ..
स्त्री को होना पड़ा।
सुष्मिता थी वह स्त्री कुसुम,
वज्र स्त्री होना पड़ा,
स्वाभिमानी को अस्मिता कहा,
बैरागन बनना पड़ा।
इंद्रधनुषी संसार था उसका,
कोरा कैनवास होना पड़ा।
बंधन और मुक्ति के दरमियां,
प्रेम को संघर्षरत रहना पड़ा।
पुरुषत्व के आगे झुकते झुकते,
उसको पत्थर होना ही पड़ा,
उसको पत्थर होना ही पड़ा।
निमिषा सिंघल
Very good
🙏🙏🙏🙏🙏
Atiuttam
बहुत आभार
Very good
Thanks dear
Nice