Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
तालाब- मछली
तालाब!! तू परेशान मत हो तेरी एक दो मछलियों की फितरत होती ही ऐसी है कि किसी नयी मछली के आने पर मचल उठती हैं…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
संघर्ष ; शेष है !
किसी नदी का सिर्फ़ नदी होना ही पर्याप्त नहीं होता ॰ किसी भी नदी का जीवन बहुत लंबा नहीं होता बेशक; लंबा हो सकता है…
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थैंक्स
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