कोरोना चालीसा

कोरोना कोरोना कहते हो कोरोना से क्यों डरते हो।
शाम सवेरे जब देखो कोरोना चालीसा भजते हो।।
कोरोना के डर से तुम कोरोना की उपासना करते हो।
सोते जागते उठते बैठते कोरोना चालीसा भजते हो।।
कहे कवि डट के मुकाबला करना तुम कहाँ सिखते हो।
भूखा प्यासा चौक चौराहे पे कोरोना चालीसा भजते हो।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

लाल चौक बुला रहा हमें, तिरंगा फहराने को

सिहासन के बीमारों ,कविता की ललकार सुनो। छप्पन ऊंची सीना का उतर गया बुखार सुनो। कश्मीर में पीडीपी के संग गठजोड किये बैठे हैं। राष्ट्रवाद…

ऐसा क्यों है

चारो दिशाओं में छाया इतना कुहा सा क्यों है यहाँ जर्रे जर्रे में बिखरा इतना धुआँ सा क्यों है शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close