मैं मर्द कहाया फिरता हूँ
मैं मर्द कहाया फिरता हूँ, मैं मर्द कहाया फिरता हूँ
चलता हूँ उल्टे राहों पर, लोगों को राह दिखाता हूं
गड्ढों में गड्ढा खोदकर, मैं खुद को खूब बचाता हूं
बच पाया फिर भी कभी नहीं, मैं बन बेसहारा गिरता हूं
मैं मर्द कहाया फिरता हूँ…. मैं मर्द कहाया फिरता हूँ
कर जाता हूँ जब पाप कभी, औरों का दोष दिखाता हूं
सीख पाया कभी ना मर्यादा, दुर्जन को बहुत सिखाता हूं
स्वार्थ स्वयं का साध सदा, सर्वज्ञ स्वयं को समझता हूं
मैं मर्द कहाया फिरता हूँ… मैं मर्द कहाया फिरता हूँ
माँ बाप की सेवा ना की मैंने, और भगवान की पूजा करता हूँ
ना जाने कैसी माया पर, अपनी नारी से डरता हूँ
बादल बन मैं ही बरसू, जब जब छाया से घिरता हूं
मैं मर्द कहाया फिरता हूँ…. मैं मर्द कहाया फिरता हूँ
Nice
धन्यवाद जी
Nyc
धन्यवाद जी
वेलकम
वाह
धन्यवाद जी
True
Sach ka sundar Varnan