Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है ।
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
नाक का नक्कारख़ाना — हास्य
॥ नाक का नक़्क़ारखाना ॥ सोचिए जरा ! क्या होता, अगरचे इन्सान की नाक न होती ? सर्वप्रथम तो आधी दुनिया अंधी होती नाक न…
हिन्दी गीत- सुना घर परिवार बिना |
हिन्दी गीत- सुना घर परिवार बिना | प्रिया प्रिय बिना देह हिय बिना | नीर क्षीर बिना भोजन खीर बिना | उत्सव उदास उपहार बिना…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
Good
धन्यवाद
वाह
👌👌