Categories: शेर-ओ-शायरी
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उम्मीदों का दिया
उम्मीदों का दीया जलाकर इस आशा में बैठे हैं कल सूरज खुशियाँ लाएगा चाँद सजाकर बैठे हैं
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
उम्मीदों का नववर्ष
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की। सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की ।। आगे बढ़ते हैं, कड़वे पल भुला कर। छोड़ वो यादें, जो चली…
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया है
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया ग्रह के गर्भ में लिपटा हैं बादलों में छुप छुप कर बैठा हैं डरा सहमा सा यह दिखता…
माँ मुझे चाँद की कटोरी में
कितना नादान था वह बचपन जब… माँ मुझे चाँद की कटोरी में खिलाती थी… मैं खाना खाने में नखरे हजार दिखाती थी… पर माँ चाँदनी…
Kya baat hai
Nice
धन्यवाद
बहुत सुंदर पंक्तियां