प्रिया (कविता)
रखे रहो हाथो पे हाथ प्रिया ,
सोचती रहो कोई अनसोंची बात प्रिया,
सर्द हवा के झोंके में,
जरा- ठहर जाओ रात प्रिया,
हम मिलजुल कर सुख दुःख बाटेंगे,
जो मिलेगा जन्म जात प्रिया।
रखे रहो हाथो पे हाथ प्रिया ,
सोचती रहो कोई अनसोंची बात प्रिया,
सर्द हवा के झोंके में,
जरा- ठहर जाओ रात प्रिया,
हम मिलजुल कर सुख दुःख बाटेंगे,
जो मिलेगा जन्म जात प्रिया।
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👌👌👌👌👌
वाह बहुत सुंदर भाव प्रिया
अच्छी रचना
👏👏👏
अनुप्रास अलंकार का अच्छा प्रयोग