लगाव नहीं जिस देश के युवाओं को राजनीति व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ।
लगाव नहीं जिस देश के युवाओं को राजनीति व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ।
वो कैसे जानेंगे हम किस व्यवस्था में जी रहे हैं और कैसी स्थिति है हमारी देश की?
वो कैसे बदलेंगे कुव्यवस्था को और कैसे सुधार लावेंगे वो अपनी निज राष्ट्र में?
जब उनको मालूम ही नहीं निज देश की क्या राजव्यवस्था और कैसी अर्थव्यवस्था है?
वो खाक!-3 बदलेंगे अपने देश को?
जब आज शिक्षा-व्यवस्था में विधुरनीति,
चाणक्यसूत्र, चाणक्यनीति व कौटिल्य अर्थशास्त्र का कोई स्थान ही नही,
तब कैसे शुध्द ग्यान प्राप्त होगा?
आज के युवाओं के राजनीति व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में
वो खाक!-3 बदलेंगे अपने देश को ।।
नयी शिक्षा-व्यवस्तथा युवाओं को सिर्फ भौतिकवादिता ही तो सिखला रही है ।
इन्हें त्याग-बलिदान, क्षमा-दया की शिक्षा देती कहाँ कोई ।
जो बन सके कोई युवा आज भगत सिंह व चन्द्रशेखर आजाद ।
जब-तक न होगा शिक्षा-व्यवस्था में बदलाव ।
तब-तक नहीं बन पायेगा कोई युवा वीर सपुत व बलवान ।
कुराजनीतिज्ञ और कुअर्थशास्त्री के कारण भारत भूत में चार उपलब्धियाँ गँवाई है ।
इन्हें देश की चार महान उपलब्धियाँ इनके नैनों को खनकती थी ।
और इसलिए इन्होंने भारत देश महान समृद्ध शक्तिशाली, धनी, विश्वगुरू,
सोने की चिड़ियाँ, अखण्डरूप व सभी देशों में महान भारत जैसे महान देश को
आज इन्होंने निर्बल-असहाय, गरीब, दीन-दुःखी ,
खण्डित-खण्डित व मूर्खों का राष्ट्र बनाया है ।।
धन्य! धन्य! है महिमा आपकी देश के राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री महोदय जी ।।
आपने तो देश को हिमालय के शिखर पे पहुँचाया है ।
कुसुम-पुष्प चढाऊँ, नीर अर्ध्य दूँ आपको या मेवा चढाऊँ आपको ।
कभी हम कवि बनके हर देश में पढ़ जाते थे ।
आज हम दिनकर बनके भी अपने देश को उजाला नहीं दे पाते है ।
क्या यहीं आपकी नीति और यहीं आपकी व्यवस्था?
जो देश को बर्बाद कर दिये निज-अपने स्वार्थ में ।।
लगाव नहीं जिस देश के युवाओं को राजनीति व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ।।
विकास कुमार
कविता के रूप में लिखिए
ये तो कहीं से भी कविता नहीं है।
आप इसे लेख कह सकते है
किंतु कैटेगिरी आपने कविता दी है ।
किलोल