कोरोना
इंसान इंसान से डरने लगा
अदृश्य जीवों से मरने लगा,
ज़िन्दगी महकती थी जिन लोगों से कभी,
उनसे मिलने से मुकरने लगा।
वो दौर ना रहा, ये दौर भी जाएगा,
गया वक्त फिर लौट के आएगा।
मिलकर,”अकेले – अकेले”, ये दुआ करने लगा।रोना
“रोना ” In the last line, is typing mistake.this is not in the poem. Sorry
सुन्दर पंक्तियां
धन्यवाद जी 🙏
Sunder
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूब
धन्यवाद आपका पीयूष जी