Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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गणपति बप्पा मोरया, पुड्च्या वर्षी लौकरया मोरया रे, बप्पा मोरया रे \-४ गणपति अपने गाँव चले, कैसे हमको चैन पड़े जिसने जो माँगा उसने वो…
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बहुत ही सुन्दर, लाजबाब रचना, वाह
बहुत बहुत धन्यवाद
Sunder
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना
आभार ज्ञापित करती हूँ गीता जी
अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Very nice
A lot of thanks
बहुत सुंदर पंक्तियां